सुलगती गर्मी में तलाश नहीं, मैंने कब कहा की मुझे प्यास नहीं- जल, पानी, WATER

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(Front News Today) जल प्रकृति का सबसे सर्वोत्तम वरदान है , जल कितना सुपरिचित नाम है पानी। जन्म से ही हमारा उससे नाता है। पैदा होते ही बच्चे को दाई पानी से नहलाती है। बचपन में सभी ने पानी में खूब मस्ती की है। सभी लोग उसे रोज काम में लाते हैं। बरसात में वह बूँदों का उपहार देकर धरती को हरी चुनरी की ओढ़नी ओढ़ाता है। उसका शृंगार करता है। जल जीने का आसरा है|जल है तोह जीवन है|जल का कोई रंग नहीं है , न ही जल का कोई स्वाद है, और नहीं ही कोई खुशबू है| जल एक पारदर्शी तरल है| जल का दूसरा नाम पानी है|जल हमारे जीवन में हर-एक कदम पे उपभोगी है| पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसलिए इसे ब्रह्मांड का एक अनोखा ग्रह कहा जाता है। जल के कारण ही आज मनुष्य जाति पृथ्वी पर विकसित हो सकी है। मनुष्य, पशुओं, पेड़-पौधों सभी को जल की जरूरत है।मनुष्य के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण है। बिना भोजन किए मनुष्य 7 दिनों तक जीवित रह सकता है पर बिना जल पिए वह 3 दिन में ही मर जाएगा। हम सभी लोगों को प्यास लगती हैं और प्यास बुझाने के लिए जल का प्रयोग करते हैं।

स्वस्थ रहने के लिए एक व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए। प्यास लगने पर जब पानी नहीं मिलता है तो बड़ी बेचैनी अनुभव होती है। इससे ही जल का महत्व पता चलता है।मनुष्य की तरह पेड़ पौधों को भी जल की आवश्यकता होती है। पौधे अपनी जड़ों से जल ग्रहण करते हैं और सभी शाखाओं पत्नियों तक जल पहुंचा देते हैं। पेड़-पौधों के तने में जल एकत्रित होता है। बिना पानी के कोई भी पेड़-पौधे विकसित नहीं होते है। पानी ना मिलने पर सभी पेड़ पौधे मुरझा जाते हैं और शीघ्र ही सूख जाते हैं।
वह सर्वत्र मौजूद है पर जब हम उसकी उम्र तथा उसके जन्म स्थान के बारे में जानने का प्रयास करते हैं तो वह उतना ही गैर, अबूझ और अपरिचित बन जाता है। पानी के जन्म के बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है। उसकी जन्म की हकीकत अभी भी रहस्य के साये में है।

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