भगवान शिव सम्पूर्ण सृष्टि के मंगल के लिए ध्यानस्थ रहते हैं, शिव समुद्र मंथन के बाद विष को कंठ में धारण करते हैं ! समाज का कार्य करने वाले को भी भगवान नीलकंठ की भाँति बनना चाहिए ! शिव का वाहन बैल, माँ पार्वती जी का वाहन सिंह, शिव का कंठहार सर्प, श्री गणेश जी का वाहन मूषक तथा कार्तिकेय का वाहन मयूर है ! ये सभी एक दूसरे के दुश्मन हैं, लेकिन शिव ने सबको एकता और प्रेम के ऐसे धागे से बांध रखा है कि सब आपस में हिल – मिल कर रहते हैं ! सामाजिक कार्यकर्ता को भी ऐसा ही होना चाहिए !
*सर्वमान्य और सर्वोच्च निर्णय ठंडे दिमाग से ही लिए जा सकते हैं, शिव के मस्तक पर चंद्रमाँ और गंगा जी का होना इस बात का संकेत है कि मस्तिष्क को सदा शीतल रखें ! चंद्रमा और गंगा जी दोनों में असीम शीतलता है ! कार्यकर्ता को भी ऐसा ही बनना चाहिए ! शिवरात्रि का संदेश है कि सच्चाई के प्रकाश में ही शिव विराजते हैं, ऐसी ही चेतना सूर्य के साथ भी है, जो दुनिया के अंधेरे को दूर करता है ! जो व्यक्ति दूसरों के रास्ते से काँटों को निकालता है, वह अपने रास्ते पर गुलाब बिखेरता है सनातन धर्म की जय हो जय श्री भगवान परशुराम दिन शुभ हो – पं सुरेन्द्र शर्मा बबली राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा व सम्मानित टीम शुभ रात्रि जी ।