सिद्धू की सियासत बनी कैप्टन की मुसीबत

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Front News Today (डॉ. राकेश प्रकाश): पंजाब कांग्रेस में जारी उठापटक के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह अपने रुख पर अडिग है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु पहले माफी मांगे फिर साथी बने। कैप्टन अमरिंदर के0 खेमे का कहना है कि सिद्धु ने पंजाब के मुख्यमंत्री के खिलाफ अनगिनत द्वीट किए, जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बिना तथ्यों के आरोप लगाए गए।

इस बात को लेकर पंजाब कांग्रेस में कैप्टन समर्थक नेताओं में काफी नाराजगी है। इन नेताओं का भी मानना है कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु को पहले सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए, इसके बाद ही मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के बारे में विचार किया जाएगा। पंजाब में पिछले कुछ दिनों से जारी तमाम सियासी ड्रामेबाजी के बाद भी अपने शायराने अंदाज के लिए मशहूर नवजोत सिंह सिद्धु ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने के बजाए सियासी चुप्पी साध रखी है। क्रिकेट के मैदान पर अपने हरफनमौला अंदाज के लिए मशहूर नवजोत सिंह सिद्धु राजनीति के मैदान में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। शायद उन्हें पता है कि क्रिकेट के खेल और राजनीति के खेला में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है। इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल चुनाव में सब लोग देख चुके हैं। यहां बीजेपी की जीत पलक झपकते ही करारी हार में बदल गई थी। लिहाजा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्य कांग्रेस के नवनियुक्त मुखिया नवजोत सिंह सिद्धु आपसी सियासी लड़ाई को विपक्षी दलों के लिए राजनीति का मुद्दा नहीं बनने देना चाह रहे हैं। लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे को हवा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में अकाली दल हो या बीजेपी दोनों अपने अपने तरीके से कैप्टन और सिद्धु के बीच जारी राजनीतिक घमासान का फायदा उठाने में लगी है। पंजाब में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इस लिहाज से समय बहुत कम है लेकिन पंजाब के वोटरों को गिनाने के लिए कुछ ठोस काम कांग्रेस की झोली में दिखाई नहीं देता। लोगों की जुबान पर कांग्रेस सरकार के काम की चर्चा कम और सियासी घमासान की बात ज्यादा सुनाई देती है। लिहाजा कैप्टन और सिद्धु दोनों के खेमों के बीज जारी लड़ाई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।

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